मद्यनिषेध विभाग उत्तर प्रदेश

मद्यनिषेध विभाग भारतीय संविधान के नीति निर्देशक सिद्धान्त की धारा-47 के तहत प्रदेश की वर्तमान नीति के अनुरूप प्रशासनिक स्तर पर वर्तमान में समाज कल्याण विभाग उ0प्र0 शासन से सम्बद्ध रहकर विभिन्न शिक्षात्मक कार्यक्रमों से प्रदेश सरकार की मद्यनिषेध की अंतिमतम नीति के दायित्वों के निर्वहन हेतु सर्वसाधारण में नशा एवं नशीले पदार्थोंं के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों को प्रचारित एवं प्रसारित कर राज्य में मद्यनिषेध के लिये स्वस्थ एवं प्रभावी वातावरण बनाने के निमित्त उपलब्ध सीमित संसाधनों एवं अत्यन्त अल्प स्टाफ की सीमा से वर्ष 1947-48 से सतत शिक्षात्मक एवं प्रेरणात्मक प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहा है जिसे वर्तमान में बढ़ रही मद्यपान की प्रवृत्ति के विरूद्ध संचेतना जागृत करने के उद्देश्य से और अधिक प्रयोजनपूर्ण बनाये जाने की नितान्त आवश्यकता है|

मद्यनिषेध विभाग, उत्तर प्रदेश

मद्यपान के सेवन के विरूद्ध मद्यनिषेध विभाग, उ0प्र0
द्वारा कृत मुख्य शिक्षात्मक कार्यकलाप

  • मद्यनिषेध विभाग के अन्तर्गत राज्य मुख्यालय लखनऊ में राज्य मद्यनिषेध अधिकारी, उ0प्र0 एवं उप राज्य मद्यनिषेध अधिकारी, उ0प्र0 द्वारा मद्यनिषेध के शिक्षात्मक कार्यों को संचालित कराया जाता है। प्रदेश के वर्तमान राजस्व मंडलों के सापेक्ष मद्यनिषेध विभाग के अन्तर्गत प्रदेश को अभी तक मात्र 7 क्षेत्रों में ही विभाजित किया गया है। वर्तमान में क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ व मुरादाबाद को क्षेत्रीय मुख्यालय बनाकर प्राथमिक कार्यकारी इकाई के बतौर स्थापित किये गये हैं।

विधायें एवं कार्यकलाप

मद्यनिषेध विभाग द्वारा केन्द्र एवं प्रदेश सरकार के अन्य मासमीडिया प्रभागों, स्वैच्छिक समाज सेवी संस्थाओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से जो विभिन्न शिक्षात्मक कार्य सम्पन्न किये गये हैं, में से कतिपय ऐसीे विधायें एवं कार्यकलाप जो सर्वसाधारण को मद्यपान के दुष्परिणामों के संबंध में शिक्षित करने के उद्देश्य से उल्लेखनीय रही हैं, वे निम्न प्रकार हैं

मद्यपान विरोधी शिक्षात्मक कार्य

प्रचार शिविर, प्रदर्शन कक्ष, सम्मेलन, अभियान, पदयात्रा के संचालन द्वारा मद्यपान विरोधी शिक्षात्मक कार्यों का प्रदेश के विभिन्न जनपदों में आयोजन कर लोगोंं को मद्यपान के विरूद्ध सावधान व जागरूक कर उन्हें मद्यपान छोड़ने हेतु प्रेरित किया गया।

चलचित्र प्रदर्शन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम

विभागीय उपलब्ध सचल इकाईयों का उपयोग कर डाक्यूमेन्ट्री व फिल्मों के माध्यम से जनमानस को मद्यपान की बुराईयों से अवगत कराकर मद्यपान का त्याग करने के लिये प्रेरित किया गया।

वालपेन्टिंग्स एवं होर्डिंग्स

जिला मद्यनिषेध समितियाँ एवं विभागीय बजट से शहरी एवं ग्रामीण अंचलों, राष्ट्रीय राजमार्गों, सार्वजनिक स्थानों व प्रमुख चौराहों पर मद्यपान के सेवन के विरूद्ध प्रेरक, प्रभावी दृश्यों तथा उद्धरणों आदि सुवाक्यावलियों की वालपेन्टिंग्स करायी गयी व होर्डिंग्स स्थापित कराये गये ।

समाचार पत्रों में लेखों के प्रकाशन

विभिन्न समाचार पत्रों में लेखों का प्रकाशन व दूरदर्शन/एफ0 एम0 के माध्यम से मद्यनिषेध सन्देश/अपील का प्रसारण कर जनता को मद्यपान के दुरूपयोग से होने वाली हानियों के प्रति जागरूक किया गया।

बस पैनल्स एवं ट्री गार्ड्स

उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों पर बस पैनल्स तथा लखनऊ जनपद में ट्री गार्ड्स के माध्यम से मद्यपान के दुष्परिणामों को उजागर करते हुये चित्रमय स्लोगन्स प्रदर्शित कराये गये।

स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से

गैर सरकारी संस्थाओं के अनुदान संबंधी प्रार्थना पत्रों को भारत सरकार से अनुदान दिलाने हेतु शासन को संस्तुति कर मद्यनिषेध विभाग द्वारा उपयुक्त संस्थाओं के प्रस्तावों को त्वरित परीक्षणोपरान्त अनुदान की स्वीकृति के लिये शासन को प्रस्तावित किया गया।

मद्यपान के सेवन के दुष्परिणाम

  • शराब के अत्यधिक सेवन से लिवर में सूजन, अल्सर, पीलिया, नपुंसकता, किशोर बालिकाओं में भविष्य में बांझपन होना आदि प्रमुख है|

साथ ही मद्यपान के सेवन के परिणामस्वरुप विभिन्न प्रकार की सामाजिक विकृतियां उत्पन्न हो जाती हैं जो विकास के पथ में बाधक है|

उपरोक्त वर्णन मद्यपान के सेवन व उनके दुष्परिणामों की एक छोटी सी झलक मात्र प्रस्तुत करता है जबकि समस्या अत्यंत भयावह है| अत: अब हम सबका दायित्व बहुत बड़ा बन जाता है कि हम सब इस मद्यरूपी दानव से स्वयं बचे व दूसरों को बचाने का प्रयास करें |

सन्देश