मद्यनिषेध क्यों

राज्य अपनी जनता के पोषण, भोजन और जीवन निर्वाह के स्तर को ऊँचा करने और सार्वजनिक स्वस्थ्य के सुधार को अपने प्रारम्भिक कर्तव्यों में मुख्य समझेगा और विशेषत: राज्य यह प्रयत्न करेगा कि नशीले पेयों और नशीली दवाइयाँ जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, के प्रयोग की मनाही हो, सिवाय उनके जो चिकित्सा के कार्य की हो |

शराब बन्दी देश के नवनिर्माण व सर्वागीण विकास का अभिन्न अंग है|देश से दरिद्रता को मिटाने तथा जनसाधारण को शराब के चंगुल से बचाने के लिए मद्यनिषेध कार्यक्रम का समर्थन करना आवश्यक है | मदिरा हमारी जनतांत्रिक व्यवस्था को भयानक रूप से रोगग्रस्त किये हुये है|

किसी भी समाज अथवा देश का नशीला वातावरण उस समाज की शक्ति, साहस, मानमर्यादा, अधिक सम्पन्त्ता, राजनीतिक व नैतिकता के आगे प्रश्न चिन्ह लगाता है |जब जब हमारे समाज में जहरीली शराब की वजह से कोई बड़ा हादसा हुआ है, तब तब इसका शिकार समाज के निर्बल मजदूर, गरीब दलित वर्ग का ही बड़ी तादाद में हुआ है |

एक स्वस्थ समाज की स्थापना स्वस्थ व्यक्तियों से ही हो सकती है | स्वस्थ व्यक्ति से तात्पर्य न केवल व्यक्ति के शारीरिक स्वस्थ से है बल्कि चतुर्मुखी विकास से है|जो इस प्रकार है -

  1. स्वस्थ दिमाग
  2. स्वस्थ शरीर
  3. संवेगात्मक संतुलन
  4. सामाजिक समयोजना

शराब इन चारों चीजों को प्रभावित करती है |अर्थात व्यक्ति शराब का आदी होने पर अपने दिमाग की तेजी व शारीरिक स्वास्थय खो देगा |अपने गम, क्रोध, खुशी का इजहार सामान्य तरीकों से नहीं कर पायेगा और समाज में वह अपने को सकारात्मक रूप से समायोजित नहीं कर पायेगा | फिर हम कैसे इस तरह मदिरा से बर्बाद हुए व्यक्तियों से स्वस्थ समाज की कल्पना कर सकते हैं? समाज में शराब के कुप्रभाव से उच्च शिक्षा प्राप्त युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है और अपना भविष्य अंधकारमय बना रही है | तनाव मुक्ति के लिए इसने शराब को माध्यम बनाया है और तनाव से मुक्ति की लत दिन प्रतिदिन बढ़ती जाती है, परिणाम, जीवन का दुखद अंत |इस बदलते हुए परिवेश में हमारे समाज में पाश्चात्य संस्कृति का जुनून हमारी संस्कृति और भारतीय मूल्यों को रौंदता हुआ एक विशेष क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है और हमारा समाज व हमारी आस्था प्रभावित हो रही है इस प्रकार मद्यपान एक सामाजिक समस्या बन गयी है |

अत: युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे इस मृग मरीचिका में न भटके | जब वे अपने वर्तमान में पाश्चातय के अंधे अनुकरण को ही अपना आघुनिक होना समझ कर भ्रमित है तो उनसे किसी प्रकार भविष्य में रोशन समाज की उम्मीद की जा सकती है | वास्तव में पाश्चातय पहनावा, शराब, सिगरेट पीने से कोई समाज आधुनिक नहीं होता है | आधुनिक होने से तात्पर्य हमारे समाज की भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक मूल्य, राजनैतिक नीतिया, आदेशों, रीति रिवाजों के अनुसार ऐसे नवीन परिवर्तित विचारों से है जिनसे हमारा समाज उन्नति करे | ऐसे परिवर्तन स्वस्थ शरीर व स्वस्थ दिमाग से ही सम्भव हैं|

इस प्रकार शराब न केवल व्यक्ति को प्रभावित करती है | बल्कि यह पूरे समाज के ढांचे के लिए खतरनाक है| इसका प्रयोग मानवता के लिए अकाल्पनिक दुष्परिणामों से युक्त है | सरकार द्वारा विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा समाज को इस व्यसन से बचाने हेतु प्रयास होता है | परन्तु इसमें शत प्रतिशत सफलता व्यक्ति के स्वयं दृढ़शक्ति से ही मिल सकती है|

अकारण ही महात्मा गाँधी ने इस कार्यक्रम को महत्व नहीं दिया था उनके कथन से मद्यनिषेध का महत्व उजागर हो जाता है :-

  1. आप इस लम्बी, चौड़ी दलील से भ्रम में न पड़िये कि भारत में अनिवार्य रूप से शराब बंदी नहीं होना चाहिए और यह कि जो शराब पीना चाहते हैं| उन्हें सुविधायें दी जानी चाहिए | राज्य अपने जन साधारण के दुर्व्यसनों को पूरा करने का प्रबंध नहीं करता | हम बदनाम घरों को न तो चलाते और न उनके चलाने के लिए स्वतंत्रता देते हैं | हम चोरों को चोरी करने की सुविधाये नहीं देते हैं | मैं चोरी और यहाँ तक की वैश्यावृत्ति से भी अधिक निन्दनीय शराब पीना समझता हूँ| क्या शराब पीने के कारण यहाँ दोनों कुकर्म नहीं किये जाते?
  2. शराब पीने की लत ने बहुत से मजदूरों के घर को बर्बाद कर दिया है | यह सम्भव नहीं कि शराब पीना और नशा बंदी साथ-साथ चलती रहें | खाते-पीते लोग यह बहाना कर सकते हैं कि वे थोड़ी सी शराब पीते हैं लेकिन मजदूरों के लिये थोड़ी बहुत शराब पीने का सवाल ही नहीं उठता|

महात्मा गाँधी ने मद्यनिषेध का ऐसा सरल मंत्र दिया जिससे नये भारत का निर्माण हो सके, सुख और समृद्धि के लिए मद्यनिषेध का प्रचार घर -घर तक पहुँच सके |

आर्त मानव की सत्य पुकार, सुखी जीवन का भी सार|
देश की सुख समृद्धि हेतु मद्यनिषेध का हो प्रचार ||

मद्यपान के कुछ प्रमुख कारण:-